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आते तो पूरे आते

  • Writer: Pahadan
    Pahadan
  • Jun 17, 2020
  • 1 min read


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आते तो पूरे आते

सड़क के किसी मोड़ पर

या पहाड़ों की ओट में

अगर मगर को छोड़कर 

बस तुम चले आते ।



उलझी गुत्थी

और कथित परंपराएं

खेतों के किसी मेढ़ पर

या बादलों की छांव में

गहरे कहीं छुपाकर

बस तुम चले आते।


लाते ना तुम कुछ,

ना मुझसे कुछ ले जाते।

होते कुछ एक पल

जो हम संग बिताते।

करते बस इतना कि

अगर मगर को छोड़कर

बस तुम चले आते।

आते तो पूरे आते।


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